हरिद्वार। गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय हरिद्वार जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार के प्रकल्प नमामि गंगे के मध्ये राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में एक एमओयू साईन किया गया।
इस एमओयू का उद्देश्य जल शक्ति मंत्रालय के विभिन्न कार्यक्रमों के अन्तर्गत समविश्वविद्यालय की सहभागिता तथा छात्रों एवं समाज को लेकर जल संरक्षण के विभिन्न शोध पहलुओं पर कार्यशीलता को करना है। जिसमें मुख्य रूप से प्राकृतिक कृषि जल संरक्षण के प्रति जागरूकता, केंचुआ खाद, तकनीकी रूप से विभिन्न नदियों एवं प्रकृतिक जल के स्रोतों के आंकडे संकलन करना है।
जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार के केन्द्रीय मंत्री गजेंन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि दोनों संस्थाओं के बीच एमओयू साईन किया गया है जिससे नदियों के संरक्षण के प्रति विशेष सहयोग मिलेगा।समविश्वविद्यालय जल संसाधनों नमामि गंगे प्रोजेक्ट पर लगातार कार्य कर रहा है। इस तरह के शोध कार्यो से जल शक्ति मंत्रालय को लाभ मिलेगा। वर्तमान में जल के स्रोतों का संरक्षण होना अत्यन्त आवश्यक है। इस कार्य में समविश्वविद्यालय की भूमिका उल्लेखनीय हो सकती है।
गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय के कुलाधिपति डा सत्यपाल सिंह ने कहा कि वेदों में जल की उपादेयता बहुत अधिक है। गंगोत्री से नदियों का प्रवाह देखा जा सकता है। और वह एक गंगा का स्वरूप ले लेती है। जल की उपयोगिता पर जन-जन को ध्यान देना होगा। समविश्वविद्यालय शोध कार्य के माध्यम से मंत्रालय को जागरूक करेगा जिसका लाभ आम आदमी तक पहुंच सके।
अम्बेडकर इण्टरनेशनल भवन नई दिल्ली में जल शक्ति मंत्रालय द्वारा आयोजित कार्यक्रम में गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सोमदेव शतांशु ने कहा कि हमारे प्राचीन ग्रंथों में जल का संरक्षण के बारे में कहा गया है। वेदों में जल की गरिमा पर विशेष मंत्रों की जानकारी दी गयी है। आज समविश्वविद्यालय और जलशक्ति मंत्रालय ने एमओयू साईन किया है इस कार्य से समविश्वविद्यालय का गौरव और बढ़ेगा। इस कार्य के पीछे समविश्वविद्यालय के कुलाधिपति डा सत्यपाल सिंह की तपस्या है।
प्रो डीएस मलिक ने कहा कि शोध की अकादमिक रूप जन्तु एवं पर्यावरण विज्ञान विभाग पूर्व से ही उच्च आयाम स्थापित करता रहा है। जल शक्ति मंत्रालय के प्रकल्प नमामि प्रोजेक्ट में विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर सलाहकार समिति में रहे है। डॉ गगन माटा ने कहा कि दोनों संस्थाओं के मध्य एमओयू साईन होने से शोध के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित किए जा सकते हैं।